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राजनीति का गिरता स्तर

भारतीय राजनीति अपने निम्न स्तर पर है क्या अभी और गिरना बाकी है?

भारतीय राजनीति के स्तर गिरने का सिलसिला आज से नहीं 1887  से शुरू हुआ है,

अपराधियों की राजनीति में सहज प्रवेश इसका मुख्य कारण है, सत्ता के लिए जनता को मुफ्त में लालच देना और देश के आर्थिक विकास पर ध्यान न देना| 

बेहुदा की जगह मर्यादित राजनीति  और असंसदीय लाचारी का  दौर चल रहा है?
इस निर्णय को देखने के बाद यह बताया जा सकता है कि देश की राजनीति में मौजूदा स्तर के स्तर के लिए काफी हद तक अकुशल आयोग की स्थापना और व्यावसायिक लक्ष्य बनाए रखने वाले ढोंगी नेताओं की राजनीति में घुसपैठ की जिम्मेदारी है, 
यदि देश को इस नासूर से मुक्ति मिलनी है तो व्यवस्था करनी चाहिए ताकि उचित योग्य ईमानदार एवं सहयोगी और सिद्धातों पर विश्वास बनाए रखा जा सके समर्पित लोग ही सक्रिय राजनीति में भाग ले सकें 
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि देश में दो दवाओं को विकसित करने के लिए कोरोना वायरस की शुरुआत हो गई है। यह एक बड़ी कंपनी थी और प्रत्येक भारतीय को हमारे उत्पादों की खोज पर गर्व होना चाहिए। हमें आपके सामान पर गर्व होना चाहिए। हिमाचल में पहले से ही बड़ी संख्या में दवा विक्रेता स्थापित हैं और वे अमेरिका जैसे देशों को 50 प्रतिशत दवा की आपूर्ति करते हैं। इसका श्रेय हमारी दवाओं को दिया जाता है। इस बात पर जोर दिया गया है कि आर्थिक वृद्धि के साथ-साथ विपणन और विपणन का प्रबंधन किया जाए।

यह हमारी बड़ी साजिश है कि कुछ राजनेता, राजनीतिक दल और पत्रकार निहित स्वार्थों के कारण और राजनीतिक लाभ के लिए इस उपलब्धि को स्वीकार नहीं करते हैं और अकारण ही निंदा करते हैं। इसी तरह कुछ लोग हमारे मिसाइल परीक्षण पर भी संदेह जता रहे हैं। भारतीय राष्ट्रवाद का मतलब यह नहीं है कि हमें अपनी गलती और असफलताओं को नजरअंदाज करना चाहिए, बल्कि इसका मतलब यह है कि हमें अपनी संतुष्टि, सैन्य सफलताएं और अन्य योग्यताओं पर गर्व करना चाहिए और अपना आनंद लेना चाहिए। लेकिन कुछ लोगों को हर क्षेत्र की जानकारी लेकर समस्या ही समस्या है। पाकिस्तान से बदलाव के लिए जब हमारी सेना ने बालाकोट में सर्जिकल स्ट्राइक की, तो उस पर भी कई सवाल उठे और सेना की इस उपलब्धि पर संदेह की दृष्टि से देखा गया। अब भारतीय पत्रिका द्वारा विकसित दो दवाओं को लेकर संदेह जताया जा रहा है। उस पर अकारण प्रश्न पूछ जा रहे हैं। हाल ही में समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव की वैक्सीन की आलोचना करते हुए यहां तक ​​कहा गया कि उन्होंने भारतीय जनता पार्टी को वैक्सीन का अधिकार दिया है।

 उन्होंने इससे जनता को नुकसान पहुंचाया है। साथ ही उन्होंने जनता से अनुरोध किया कि इस वैक्सीन को न लें। सच्चाई तो यह है कि इस वैक्सीन को 20 हजार से ज्यादा लोगों पर लगाया गया है और उनके नतीजों को ध्यान से धीरे-धीरे विश्लेषित किया गया है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय मोटरसाइकिल्स की इस उपलब्धि पर कोई सवाल नहीं उठाया गया है। इसके विपरीत कई देशों ने इस टीके को खोजने की इच्छा जताई है। ब्राज़ील इसका एक उदाहरण है। हमारे देश में देखा जा रहा है कि हम अपने ही परिवार के सदस्यों को संदेह की नजरों से देख रहे हैं। प्रशंसा या प्रशंसा करना तो दूर की बात है। सरकार की महत्वपूर्ण कार्वाइयों को भी समर्थन नहीं मिल पाता है जिससे राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंच रहा है। फ़्रांस से अफ़गानिस्तान की खरीद के मामले में यह भी देखा गया। चीन के साथ भारत पर लगाम लगाने के मामले में भी राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचाने वाली बातें गायब हैं। जो आरोप लगाए गए हैं, वे ज्यादातर मामलों में सिद्ध साबित हुए हैं। फ्रांस से राफेल की खरीद के मामले में आरोप लगाया गया कि इस खरीद में धोखाधड़ी हुई है। आरोप लगाने वाली यह बात साबित नहीं हो पाई। राफेल उत्पादों की खरीद लंबे समय से थी और राष्ट्र की सुरक्षा की दृष्टि से इन दस्तावेजों की खरीद बहुत जरूरी थी। भारत-चीन अधिग्रहण मामले में भी कुछ तबकों ने ऐसे आरोप लगाए कि उनके शत्रु देश को फायदा हुआ और भारत को नुकसान हुआ।

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6 Comments

  1. Jab tak aap jaise reporter is desh me hain tab tak is desh ko koyi bhi neta ya koyi aur kuchh nahi kar sakta is desh ko aap hi jaise reporter ki jarurat hai aur aap hi jaise reporter is desh ke chauthe stambh hain good job 👌👌

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  2. Great yarr good job

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Thanks for your comments 😍🥳🥳